दिल्ली में जन दबाव में करीब दो तिहाई कम हुई कोरोना के इलाज की दरें
सुमन कुमार
पिछले एक सप्ताह से सोशल मीडिया पर निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के इलाज के लिए वसूली जा रही दरों की तस्वीरें वायरल हो रही थीं। एक ऐसी बीमारी जिसका कोई आधिकारिक इलाज तक उपलब्ध नहीं है उसके इलाज के नाम पर अस्पतालों द्वारा 4 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक वसूले जाने की खबरें मीडिया की सुर्खियां बन रही थीं। आखिरकार इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा पहल की गई और पहले कोरोना के निजी लैब में जांच की दरें 45 सौ से कम करके 24 सौ रुपये की गई और शनिवार को इलाज की नई दरें भी तय कर दी गई हैं। हालांकि अभी सिर्फ दिल्ली के निजी अस्पतालों को लेकर फैसला लिया गया है मगर माना जा रहा है कि जल्द ही दूसरी राज्य सरकारें भी इस फैसले को लागू करने के लिए बाध्य हो जाएंगी।
दरअसल दिल्ली में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और उससे निबटने में दिल्ली सरकार की नाकामी को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मीटिंग की थी। इसमें कुछ मुद्दों पर सहमति बनी थी। इसी के तहत एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया गया था जिसे कोरोना की जां और इलाज के लिए खर्च की दरें सुझाने की जिम्मदारी दी गई थी। इस कमेटी ने दो दिन पहले निजी लैब में कोरोना की जांच की दर 24 सौ रुपये करने की सिफारिश की थी। सरकारी लैब में ये जांच मुफ्त होती है।
इसके बाद इस कमेटी ने शुक्रवार को ये सिफारिश की थी कि कोविड के इलाज के लिए निर्देशित निजी अस्पतालों में 60 फीसदी बेड रियायती दर पर मरीजों को उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए कमेटी ने बिना वेंटीलेटर वाले आइसोलेशन बेड के लिए प्रतिदिन 8 से 10 हजार रुपये, बिना वेंटीलेटर सपोर्ट वाले आईसीयू बेड के लिए 13 से 15 हजार रुपये और वेंटीलेटर सपोर्ट वाले आईसीयू बेड के लिए 15 से 18 हजार रुपये प्रति दिन की दरें सुझाई थी। कमेटी का कहना था कि निजी अस्पतालों के 40 प्रतिशत बेड सामान्य दर पर दिए जाने की छूट अस्पतालों को मिलनी चाहिए। हालांकि दिल्ली सरकार ने इस सिफारिश को नही माना और निजी अस्पतालों में पूरे 100 प्रतिशत बेड रियायती दर पर कोरोना इलाज के लिए देने की अधिसूचना जारी कर दी है। खुद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने शनिवार को ट्वीट कर ये जानकारी दी।
गौरतलब है कि निजी अस्पतालों में इस फैसले से पहले मनमानी फीस कोरोना मरीजों से वसूली जा रही थी। आइसोलेशन वार्ड के लिए 40 हजार रुपये, बिना वेंटीलेटर आईसीयू के लिए 70 हजार और वेंटीलेटर सपोर्ट वाले बेड के लिए एक लाख रुपये तक प्रतिदिन चार्ज किया जा रहा था। इस फैसले के बाद अब वेंटीलेटर पर जाने वाले मरीज के इलाज का खर्च भी दवाओं को जोड़कर 3 से 4 लाख रुपये तक रहने की उम्मीद है। कोरोना जिस तरह से फैल रहा है उसे देखते हुए ये मरीजों के लिए राहत भरा फैसला है।
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